🌟 परिचय (Introduction)
दीवाली का त्योहार सिर्फ घरों में दीये जलाने का नहीं, बल्कि दिलों में अच्छाई की रोशनी जगाने का प्रतीक है।
इस मौके पर Diwali Stories for Kids सुनाना बच्चों को जीवन की सच्ची सीख देता है।
नीचे दी गई पाँचों कहानियाँ लम्बी, भावनात्मक और प्रेरणादायक हैं — जो बच्चों को सिखाएँगी कि सच्ची दीवाली भीतर के प्रकाश से होती है, बाहर के शोर से नहीं।
🪔 कहानी 1: “दीया और चाँद की दोस्ती”
एक बार की बात है, आसमान में चमकता चाँद धरती को देख रहा था।
उसे नीचे की रंगीन रोशनी बहुत अच्छी लग रही थी।
वह बोला, “कितनी सुंदर दीवाली है!”
नीचे, एक छोटा मिट्टी का दीया हल्की हवा में डगमगा रहा था।
उसने ऊपर देखा और बोला, “चाँद भैया, तुम तो आसमान में इतने ऊँचे हो, तुम्हारी रोशनी सबसे बड़ी है। मैं तो बहुत छोटा हूँ।”
चाँद मुस्कुराया और बोला,
“दीये, तेरी छोटी सी लौ ही इंसानों के घरों में उजाला लाती है।
मैं दूर हूँ, तू पास है। तू लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाता है।”
दीया सोच में पड़ गया।
रात गहरी होती गई, लेकिन दीया बुझा नहीं।
वह पूरी रात जलता रहा, और हर आने-जाने वाले के चेहरे पर रौशनी बिखेरता रहा।
सुबह जब सूरज निकला, तो लोग बोले – “वाह! इस छोटे दीये ने पूरी रात अंधेरा नहीं आने दिया।”
दीया खुश हुआ।
उसे समझ आ गया कि बड़ा होना जरूरी नहीं, काम बड़ा होना चाहिए।
सीख:
- अपने काम से पहचान बनाओ, आकार से नहीं।
- छोटी रोशनी भी बड़े अंधेरे को मिटा सकती है।
🌟 कहानी 2: “सच्ची दीवाली राधा के घर”
एक छोटे से गाँव में राधा नाम की प्यारी बच्ची रहती थी।
उसका परिवार गरीब था, माँ बीमार थी और पिता मजदूरी करते थे।
दीवाली आने वाली थी, लेकिन उनके घर में एक दीया तक नहीं था।
राधा गाँव के चौक पर खड़ी देख रही थी कि कैसे बाकी बच्चे नये कपड़े पहनकर मिठाई बाँट रहे हैं।
उसी समय, एक बुजुर्ग दादा आए और बोले, “बेटी, तू इतनी उदास क्यों है?”
राधा बोली, “हमारे घर में ना तेल है, ना दीया… मम्मी बीमार हैं, और पापा काम पर हैं।”
दादा मुस्कुराए, “तो चल, मैं तुझे एक दीया देता हूँ। तू इसे अपने घर जला लेना।”
राधा दौड़कर घर आई।
उसने मिट्टी का दीया जलाया, और उसकी माँ के पास रख दिया।
जैसे ही दीया जला, माँ की आँखों में चमक आ गई।
कमरे में हल्की सी रौशनी फैली, लेकिन दिलों में उजाला छा गया।
राधा बोली, “माँ, अब हमारे घर भी दीवाली है।”
बाहर बारिश हो रही थी, पर दीया बुझा नहीं।
सुबह पूरे गाँव ने देखा कि राधा के छोटे से घर से एक नई रोशनी निकल रही थी।
गाँववालों ने तय किया कि हर साल किसी गरीब के घर मिलकर दीवाली मनाएँगे।
सीख:
- सच्ची दीवाली दिलों की रोशनी से होती है, सिर्फ बिजली से नहीं।
- खुशियाँ बाँटने से ही बढ़ती हैं।
🎇 कहानी 3: “लालची बंदर और मिठाई वाला दीपक”
एक जंगल के किनारे एक छोटा गाँव था।
वहाँ दीवाली के दिन सभी लोग मिठाई बाँट रहे थे।
एक बंदर पेड़ पर बैठा यह सब देख रहा था।
उसकी आँखें मिठाइयों पर टिक गईं।
वह बोला, “कितनी स्वादिष्ट चीज़ें हैं, मुझे भी चाहिए!”
वह चुपके से नीचे उतरा और एक घर की खिड़की से झाँका।
अंदर एक दीया जल रहा था और मिठाई रखी थी।
बंदर ने सोचा – “चलो, जल्दी से मिठाई उठाकर भाग चलता हूँ।”
जैसे ही उसने मिठाई उठाई, उसका हाथ दीये की लौ से जल गया।
वह दर्द से चीख उठा और भाग गया।
रास्ते में सोचने लगा, “अगर मैं थोड़ी देर रुक जाता और सोचता, तो खुद को नहीं जलाता।”
उस दिन उसे समझ आया कि लालच हमेशा नुकसान देता है।
वह वापस गया, घर के बाहर बैठा और बच्चों को मिठाई खाते देख मुस्कुराया।
सीख:
- लालच से हमेशा हानि होती है।
- जो दूसरों की खुशी में खुश रहता है, वही सच्चा आनंद पाता है।
🪔 कहानी 4: “मेहनती चींटी और तितली की दीवाली”
एक सुंदर बगीचे में एक मेहनती चींटी और रंग-बिरंगी तितली रहती थीं।
चींटी पूरे दिन अनाज इकट्ठा करती, जबकि तितली बस फूलों पर उड़ती रहती।
दीवाली करीब थी, तितली बोली, “क्यों इतना काम कर रही हो? चलो खेलो।”
चींटी बोली, “पहले काम, फिर आराम।”
कुछ दिन बाद मौसम बदल गया, ठंडी हवाएँ चलने लगीं।
तितली के पास न घर था, न खाना।
वह काँप रही थी और चींटी के दरवाज़े पर पहुँची।
चींटी ने बिना कुछ सोचे दरवाज़ा खोला और कहा, “आओ, साथ बैठकर दीवाली मनाते हैं।”
तितली की आँखों में आँसू आ गए।
उसे एहसास हुआ कि सच्चा सुख मेहनत और दया में है।
सीख:
- मेहनत करने वाला कभी खाली नहीं रहता।
- दया और सहयोग से ही असली खुशी मिलती है।
🌟 कहानी 5: “कुम्हार का सपना”
एक गरीब कुम्हार था जो मिट्टी के दीये बनाता था।
हर साल लोग उससे सस्ते दीये लेकर भूल जाते थे।
इस बार उसने ठान लिया – “मैं ऐसे दीये बनाऊँगा जो लोगों के दिलों में बस जाएँ।”
वह दिन-रात मेहनत करने लगा।
मिट्टी गूंथी, दीये बनाए, और उन पर सुंदर आकृतियाँ उकेरीं।
दीवाली के दिन उसके दीये बाजार में सबसे पहले बिके।
लोग बोले – “कितने सुंदर हैं ये दीये!”
रात को जब उसने खुद एक दीया जलाया, तो उसका चेहरा चमक उठा।
उसने ऊपर देखा और बोला, “भगवान! ये रोशनी सिर्फ मिट्टी की नहीं, मेरे विश्वास की है।”
उसी समय एक राजा वहाँ से गुजरा और बोला, “तेरे दीयों ने मेरे महल को भी रोशन कर दिया।”
राजा ने उसे दरबार का शिल्पकार बना लिया।
कुम्हार की मेहनत रंग लाई, और उसके जीवन में सच्ची दीवाली आ गई।
सीख:
- मेहनत और ईमानदारी से ही सफलता मिलती है।
- सच्चा उजाला हमारे कर्मों से आता है, किस्मत से नहीं।
🌼 निष्कर्ष (Conclusion)
इन पाँच Diwali Stories for Kids से हमें यह सीख मिलती है कि दीवाली केवल पटाखे जलाने का पर्व नहीं, बल्कि जीवन में अच्छाई, सच्चाई, और दया की ज्योति जलाने का अवसर है।
सच्ची दीवाली वही है, जब हम किसी और के जीवन में भी उजाला फैलाएँ।
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